धरती पर मिल गया 'पाताल लोक' का रास्ता? आप भी जान लीजिए कहां पर है...
हिन्दू धर्म में पाताल लोक की स्थिति पृथ्वी के नीचे बताई गई है. यह समुद्र के किनारे है.
पाताल या नागलोक नागों का सबसे निचला क्षेत्र है, जिस पर वासुकी (शिव के गले में लटका हुआ सांप) का शासन है. पाताल लोक में नाग, दैत्य, दानव और यक्ष रहते हैं.
पाताल लोक की नगरी का राजा वासुकी नाग को माना जाता हैं जिसे भगवान शंकर अपने गले में धारण करते हैं.
नारद मुनि के अनुसार, पाताल लोक में सूर्य का प्रकाश नहीं है, लेकिन नागों के सिर की मणि में सूर्य जितना प्रकाश होता है. वही पाताल लोक में प्रकाश करती है.
वहीं पाताल लोक का रास्ता मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से करीब 78 किलोमीटर दूर पातालकोट नामक स्थान है,
जिसे लोग पाताल लोक कहते हैं. ये जगह धरातल से करीब 3000 किलोमीटर नीचे बसी है.
पाताल लोक का रास्ता प्राचीन नगरी पंपापुर है, जो वर्तमान में विंध्याचल में है.
शास्त्रों में बताया गया है कि पंपापुर नागवंशी राजाओं की राजधानी थी.
मां विंध्यवासिनी नागवंशी राजाओं की कुल देवी के रूप में पूजी जाती थीं. मान्यता है कि पाताल लोक से इसी रास्ते नागवंशी आते-जाते थे.