Recipes: आपने बिना आलू वाला समोसा खाया है कभी? ये राजस्थान में बिकते हैं
क्या आप जानते हैं समोसा ईरान से आया था. फारसी में इसे 'संबुश्क' कहते थे, लेकिन भारत आते-आते इसे समोसा कहा जाने लगा.
आकार भी बदलकर तिकोना हो गया और स्टफिंग में मेवे की जगह आलू भरा जाने लगा.
धीरे-धीरे समोसा लवर्स ने इतनी वैरायटी तैयार कर डाली कि आज पनीर समोसा, पिज्जा समोसा, तंदूरी समोसा... न जाने कितने तरह के समोसा बाजार में बिकने लगे हैं.
आज राजस्थानी जायका में हम आपको समोसे की ऐसी ही एक खास वैरायटी से रूबरू करवाते हैं, जिसमें आलू नहीं डलता.
कच्चे केले से इसका मसाला तैयार होता है. खास बात यह है कि ये समोसा सप्ताह में केवल एक ही दिन बनता है.
इसमें समोसे में खास बात यह है कि इसे खाने वालों को 6 दिन तक इंतजार करना पड़ता है.
आनंदम कैटर्स रेवड़ी वालों के ऑनर मनीष जैन बताते हैं- यूं तो हमारा पुश्तैनी काम नमकीन और मिठाइयां बनाने का रहा है.
18वीं शताब्दी से जयपुर वॉल सिटी (चारदीवारी) में दादा-परदादा लोगों को अपने हाथ का स्वाद चखाते आए हैं. सबसे पहले रेवड़ी बनाने का काम शुरू किया था.
आपको केले के समोसे खाने हों तो वीकेंड तक का इंतजार करना पड़ सकता है. ये समोसे सिर्फ 3 घंटे में 2500 पीस बीक जाता है.