कभी आपने सोचा है आखिर गंगाजल सालों-साल तक खराब क्यों नहीं होता? यहां जानें

हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा प्राप्त है. महाभारत से लेकर तमाम पौराणिक ग्रंथों में गंगा का जिक्र मिलता है. ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पूजा-पाठ से लेकर हवन अनुष्ठान जैसे तमाम धार्मिक कार्यों में गंगाजल का इस्तेमाल होता है.

गंगाजल सालों-साल रखा रहता है पर न तो उसमें बदबू आती है ना कभी कीड़ा पड़ता है.

गंगाजल में करीब 1000 तरह के ‘बैक्टीरियोफेज’ पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने वाले वायरस हैं.

Science Fact की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी नदियों में भी बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है.

जैसे यमुना या नर्मदा नदी में 200 से कम प्रकार के ही बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं.

यही कारण है कि दूसरी नदियों के जल के मुकाबले गंगाजल आसानी से खराब नहीं होता है.

गंगाजल में सल्फर की मात्रा अधिक होती है, जो इसे लंबे समय तक खराब नहीं होने देती है.

गंगाजल की एक और खासियत ये भी है कि इसकी वायुमंडल से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता काफी ज्यादा है. ये दूसरी नदियों की तुलना में 20 गुना गंदगी अवशोषित कर सकती है.