आपने कभी सोचा है मरी हुई व्हेल के पास क्यों नहीं जाना चाहिए? यहां जान लीजिए

आपने कभी सोचा है कि मरी हुई व्हेल के पास क्यों कभी भी नहीं जाना चाहिए और अगर कोई इंसान मरी हुई व्हेल के पास जाता है तो उसके साथ क्या होगा. तो चलिए जानते है की मरी हुई व्हेल क्यों इतनी ज्यादा खतरनाक है.  

दरअसल व्हेल की कुल 90 से अधिक प्रजातियां हैं जिन्हें मुख्य रूप से 2 समूहों में बांटा गया है. 

पहला समूह बैलेन व्हेल इन व्हेल के दांत नहीं होते बल्कि इनके मुंह में बैलेन प्लेट्स होती हैं. 

बैलेन प्लेट्स को आप एक किचन के छनी की तरह समझ सकते हैं जिनसे ये पानी के साथ हजारों छोटे समुद्री जीव और मछलियों को निगलती है. बैलेन व्हेल का आकार आमतौर पर बड़ा होता है.

दूसरा समूह दांत वाली व्हेल इस व्हेल के मुंह में दाँत होते हैं जिससे यह मछली और अन्य बड़े शिकार खाती हैं और इनका आकार बैलन व्हेल की तुलना में छोटा होता है.

स्पर्म व्हेल और किलर व्हेल इसके मुख्य उदाहरण हैं. अब जानते हैं कि मरी हुई व्हेल मछली क्यों खतरनाक है.

मरी हुई व्हेल की बात करें तो कुछ प्रजातियां की व्हेल मरने के बाद सबसे ज्यादा खतरनाक बन जाती है जिसमें ब्लू व्हेल, स्पर्मवेल हबैक व्हेल का नाम सबसे ऊपर आता है. 

आमतौर पर जब व्हेल की मौत होती है तब उसका शरीर समुद्र के तल में जाकर कुछ महीनों में नष्ट हो जाता है. लेकिन जब व्हेल का शरीर समुद्र के किनारे पर आ जाता है तब उसमें एक अजीब सी खतरनाक प्रोसेस शुरू होने लगती है.

जब व्हेल का मृत शरीर समुद्र के किनारे पर आता है तब उसमें गर्म वातावरण और सूर्य की रोशनी के चलते मृत शरीर में सड़न प्रक्रिया तेजी से शुरू होती है जिससे मीठेन और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी हानिकारक गैस बनने लगती है. 

यह गैस व्हेल के शरीर में जमा होती रहती है क्योंकि व्हेल के शरीर की मोटी चर्बी के कारण वह बाहर नहीं निकल सकती है. इसलिए व्हेल का शरीर एक गुब्बारे जैसा फूलने लगता है लेकिन वह बाहर से दिखता नहीं है. 

जब व्हेल का शरीर और ज्यादा गैस अपने अंदर नहीं समा पाता तब वह एक बड़े विस्फोट के समान फटता है और उस समय अगर कोई इंसान व्हेल के शरीर के नजदीक होता है तो वह यह विस्फोट के चलते मर भी सकते हैं.