कभी सोचा है हमारे सपने में जाने-पहचाने चेहरे ही क्यों नजर आते हैं? यहां जानें
सपनों की व्याख्या और कारणों को समझने के लिए मनोविज्ञान और Neuroscience ने कई अध्ययन किए हैं.
इसमें सपनों की उत्पत्ति, उनके स्वरूप और उनमें जाने-पहचाने चेहरों का होना, सभी को समझने का प्रयास किया गया है. चलिए अब सबसे पहले ये जानते हैं कि सपनों की उत्पत्ति कैसे होती है.
दरअसल, सपने REM (Rapid Eye Movement) नींद के दौरान आते हैं. इस दौरान हमारा दिमाग सबसे ज्यादा सक्रिय होता है.
नींद में जब रैपिड आई मूवमेंट होती है तो हमारा दिमाग उन विचार, यादें और भावनाओं को पुनः व्यवस्थित करता है, जिन्हें हम जी चुके होते हैं या फिर जिनके बार में हम जागते हुए सोच रहे होते हैं.
आसान भाषा में कहें तो इस प्रक्रिया के दौरान दिमाग दिन भर की गतिविधियों और अनुभवों को इकट्ठा कर उन्हें समझने की कोशिश करता है.
मनोविज्ञान का मानना है कि सपने हमारे अवचेतन मन के विचारों, इच्छाओं और चिंताओं को दिखाते हैं.
दुनिया के बड़े न्यूरोलॉजिस्ट सिगमंड फ्रायड के अनुसार, सपने हमारी अव्यक्त इच्छाओं और भावनाओं का प्रतिबिंब होते हैं. वह मानते थे कि सपनों के माध्यम से हम अपनी छिपी हुई इच्छाओं को अनुभव कर पाते हैं.
अब आते हैं जाने-पहचाने चेहरों वाली बात पर. दरअसल, सपनों में अक्सर हम अपने जानने-पहचाने चेहरों को इसलिए देखते हैं क्योंकि ये चेहरे हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं.
जब हम किसी विशेष व्यक्ति के साथ समय बिताते हैं, तो उनका चेहरा हमारे दिमाग में गहराई से छप जाता है.
सपनों में इन चेहरों का आना इस जुड़ाव का संकेत होता है कि आप अपने अवचेतन मन में भी उनके बारे में सोच रहे हैं. ये जुड़ाव किसी भी तरह का हो सकता है.
हो सकता है कि आप किसी को लेकर प्रेम भरे सपने देखें या फिर किसी को लेकर नफरत से भरे सपने देखें. डर, वासना और क्रोध से जुड़े सपने भी आप देख सकते हैं.
ये सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप जागते हुए किस चेहरे को लेकर किस तरह की चीज सोच रहे हैं.