कभी सोचा है बौद्ध मंदिरों के बाहर क्यों लगाया जाता है प्रार्थना चक्र? जानें

बौद्ध धर्म की गहराई और इसकी आध्यात्मिक परंपराओं में अनेक रहस्य छिपें हैं. इन्हें में से एक है प्रार्थना चक्र या प्रेयर व्हील. 

यह केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि बौद्ध संस्कृति की आध्यात्मिक भावना का जीवंत उदाहरण है. 

यह चक्र न केवल प्रार्थना का माध्यम है बल्कि इसे घुमाने से ऐसा माना जाता है कि जितनी बार यह घूमता है उतनी बार मंत्रों का उच्चारण होता है. 

उत्तराखंड के नैनीताल सुख निवास बौद्ध मंदिर में भी इन प्रार्थना चक्रों को देखा जा सकता है. बौद्ध मंदिर के चारों तरफ ये प्रार्थना चक्र क्रम से लगे हुए हैं.

नैनीताल तिब्बती समुदाय के सचिव याशी थुप्तेन बताते हैं कि  प्रार्थना चक्र मुख्य रूप से बौद्ध धर्म में उपयोग किए जाते हैं. जिससे बौद्ध धर्म में “मानी खोलो” कहा जाता है. 

इनमें आमतौर पर “ॐ मणि पद्मे हूँ” जैसे शक्तिशाली मंत्र लिखे होते हैं. इन मंत्रों को कपड़े या कागज़ पर लिखा जाता है और फिर सिलेंडरनुमा चक्र में लपेटकर उसे एक धुरी पर लगाया जाता है. 

जब कोई भक्त श्रद्धा से इस चक्र को घुमाता है, तो माना जाता है कि वह मंत्रों का पाठ कर रहा है और पुण्य कमा रहा है.

बौद्ध मान्यताओं के अनुसार प्रार्थना चक्र को दाईं दिशा में घुमाना चाहिए क्योंकि यह ब्रह्रांड के प्राकृतिक क्रम का प्रतीक है. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. 

हिमालयी क्षेत्रों में यह चक्र मंदिरों, मठों और घरों के बाहर आमतौर पर लगे देखे जा सकते हैं.