आपने कभी सोचा है शादी में दूल्हा साथ में क्यों रखता है तलवार? जानें इसकी वजह
भले ही हमारे देश में खतरनाक हथियार साथ रखना कानूनी अपराध माना जाता है, लेकिन सदियों से चली आ रही शादी की परंपरा में दूल्हा अपने साथ तलवार, चाकू, कटार या छूरी जरूर रखता है.
आज भी इन परंपराओं को निभाने में कानूनी अड़चनें नहीं होतीं, क्योंकि यह परंपरा हजारों साल पुरानी है.
मौजूदा समय में आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 4, 7, 9, 25 के तहत खतरनाक हथियार रखना वर्जित है. इन हथियारों में 6 इंच से बड़े छुरी, तलवार भी शामिल है.
हिंदू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार, विवाह में दूल्हे का साथ में तलवार रखना बेहद शुभ माना जाता है.
पुजारी व कथा वाचक देवेंद्र आचार्य ने बताया कि तलवार को प्राचीन काल से ही शौर्य का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि दूल्हे के द्वारा तलवार रखने की परंपरा पुराने जमाने से ही चली आ रही है.
दूल्हा जब शादी करने के लिए जाता है तो वह अपनी होने वाली पत्नी की आजीवन रक्षा करने का वचन भी देता है. यही वजह है कि दूल्हा तलवार अपने हाथों में लेकर दुल्हन के साथ सात फेरे लेता है.
शादी के दौरान दूल्हे के हाथ में रखी तलवार इस बात का प्रतीक होती है कि वह अपनी दुल्हन की आजीवन रक्षा करेगा और सही सलामत शादी करके सकुशल अपने घर वापस आएगा.
देवेंद्र आचार्य बताते हैं कि पहले लोग बहुत दूर दराज में शादियां किया करते थे. कई दिनों तक चलने के बाद बारात दुल्हन के घर तक पहुंचती थी.
बीच में बारातियों के द्वारा जंगल-पहाड़ में विश्राम किया जाता था, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से भी वो अस्त्र शस्त्र लिए रहते थे. तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई है.
देवेंद्र आचार्य बताते हैं कि पुराने लोगों का ऐसा भी मानना था कि दूल्हे के पास यदि लोहे की धातु रहेगी तो उसे किसी भी व्यक्ति की बुरी नजर नहीं लगेगी और न ही उस पर नकारात्मक शक्तियों का असर होगा.
अक्सर बुजुर्ग महिलाएं घर के बच्चे को बुरी नजर से बचने के लिए काला टीका लगाया करती हैं. इसी तरह दूल्हे को टीका लगाकर तलवार रखने के लिए दी जाती है.
चूंकि शादी के दिन दूल्हे भी सजते संवरते हैं और इस दिन वह बाकी दिनों की अपेक्षा काफी सुंदर दिखाई देना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें नजर न लगे इसके लिए उनके पास कोई न कोई लोहे की वस्तु रखने के लिए दी जाती है. यही वजह है कि दूल्हे अपने साथ तलवार रखते हैं.