जानकारी के मुताबिक यह जर्जर बस्ती बर्फ से ढंके पहाड़ों के बीच बसी हुई है. वहीं शहर की ओर जाने वाली सड़क कूड़े के ढेरों से घिरी हुई है, यहां हर जगह कूड़े का समुद्र नजर आता है.
यहां का शहर का मौसम इतना ठंडा होता है कि, पूरे शहर में केवल तीन गर्म स्नानघर हैं. वहीं यहां के पानी में पारे की मात्रा कई गुना ज्यादा है. यही पारा सोना निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
जानकारी के मुताबिक यहां पर काम करने वालों को सैलरी नहीं मिलती है. वे 30 दिन तक बिना पैसों के काम करते हैं और 31वें दिन उन्हें खदान से उतना अयस्क लेने की अनुमति होती है.
बता दें कि 20वीं सदी की शुरुआत में इस शहर की खोज सोने के एक खदान के रूप में की गई थी. जिसके बाद ज्यादातर लोग अमीर बनने का सपना देखकर यहां पर बसने चले आए थे.