हिटलर का वो होटल जिसमें 3 साल तक लगे रहे मजदूर, फिर भी अधूरा रहा ये सपना

जर्मनी के बाल्टिक सागर के रुगेन द्वीप पर एडोल्फ हिटलर ने दुनिया का सबसे बड़ा होटल बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन तकदीर को यह मंजूर नहीं था. 

हिटलर के आदेश पर कोलोसस ऑफ प्रोरा में 9 हजार मजदूर भी तैनात कर दिए गए थे, जो दिन-रात इस होटल के कंस्ट्रक्शन में लगे रहे और लगातार 3 साल तक इसका काम चलता रहा.

कहानी में मोड़ तब आया जब साल 1936 में शुरू हुआ यह निर्माण 1939 में दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद रुक गया. 

ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्यों 237.5 मिलियन जर्मन करेंसी यानी करीब 80 अरब रुपए खर्च होने के बाद भी हिटलर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा न हो सका. 

हिटलर चाहता था कि होटल में 20,000 कमरे बनें, जहां जर्मन लोग खासकर सैनिक काम के घंटों के बाद मौज-मस्ती का वक्त बिता सकें.

होटल के नाम में प्रोरा का अर्थ है-बंजर जमीन. ऐसा इसलिए क्योंकि हिटलर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट समुद्र के बीच रेतीली जगह पर बनाया गया था.

1936 के बाद से बड़े पैमाने पर इसका काम भी चलता रहा, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध (1939) की शुरुआत होने पर यह काम बंद हो गया क्योंकि हिटलर को सभी 9 हजार मजदूरों को सेना में भेजना पड़ा. 

दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने से पहले इस आलीशान होटल में आठ हाउसिंग ब्लॉक, थिएटर और सिनेमा हॉल बनकर तैयार हो गए थे, लेकिन स्विमिंग पूल और फेस्टिवल हॉल का काम अधूरा ही रह गया था.

हिटलर चाहता था कि यहां 20,000 बेडरूम की व्यवस्था हो और हर कमरे का रुख समुद्र की ओर हो. हर कमरे का आकार 5 गुणा 2.5 मीटर होना था, जिसमें दो बेड, एक वार्डरोब और सिंक हो.

साथ ही काम्पलेक्स के बीचों-बीच एक बेहद विशाल भवन हो, जिसे जरूरत पड़ने पर सैन्य अस्पताल की तरह इस्तेमाल किया जा सके. हालांकि, तकदीर को ये सब मंजूर नहीं था. 

दूसरे विश्व युद्ध के बाद बंद हुआ ये निर्माण कार्य दो बारा शुरू नहीं हो पाया. पहले इसका इस्तेमाल, सोवियत आर्मी के सैनिकों ने छिपने के लिए किया था.

लड़ाई के बीच केवल सैनिक ही नहीं, बल्कि कई आम लोग भी यहां छिपने के लिए आते थे. इसी तरह धीरे-धीरे ये आधी बनी इमारत टूट-फूटकर खंडहर में बदल गई.

हिटलर के इस आधे बने आलिशान होटल की हालत ऐसी हुई कि ये आसानी से बिक भी नहीं पाया.

किसी ना किसी कारण से हर बार यहां की डील कैंसिल हो जाती थी, क्योंकि अधिकतर लोगों का मानना था कि युद्ध के समय यहां कई लोगों ने जान गंवाई और ये जगह किसी भूतिया से कम नहीं है.