होलिका दहन पर सरसों का उबटन क्यों लगाया जाता है? जानिए इसका कारण

होली सिर्फ रंगों और खुशियों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आस्था और परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है.

होली से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा मनाई जाती है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है.

हिंदू धर्म में होलिका दहन से पहले सरसों का उबटन लगाने की परंपरा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका क्या महत्व है?

ऐसा मन जाता है कि उबटन लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शरीर शुद्ध होता है.

अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो इस दिन सरसों का उबटन लगाकर उसकी मैल होलिका में डालने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

होलिका दहन के बाद सात बार परिक्रमा करने से जीवन में सुख, धन, सेहत और खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है.

काली सरसों, काले तिल और लौंग से बना उबटन लगाने और उसकी मैल होलिका में डालने से शत्रुओं की बुरी नजर और बाधाएं दूर होती हैं.

वैज्ञानिक दृष्टि से भी उबटन लगाने के कई फायदे हैं. यह त्वचा को गहराई से साफ करता है और डेड स्किन हटाकर उसे चमकदार बनाता है.

सरसों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं.

होलिका दहन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि इसका कृषि और आध्यात्मिकता से भी गहरा संबंध है.

यह त्योहार फसल कटाई के समय आता है, इसलिए इसे देवताओं को नई फसल अर्पित करने का शुभ अवसर माना जाता है.