लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पहले के जमाने में जब प्रेग्नेंसी किट नहीं हुआ करती थी तब गर्भवती होने का पता कैसे लगाया जाता था? चलिए आपको बताते हैं.
महिलाएं अपने शरीर में होने वाले बदलावों को देखकर भी गर्भावस्था का अनुमान लगाती थीं. जैसे कि मासिक धर्म का बंद होना, उल्टी, थकान और स्तनों में बदलाव.
भारत में भी प्रेग्नेंसी का पता लगाने के कई पारंपरिक तरीके थे. जैसे यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसके यूरीन में गुड़ मिलाया जाए तो उसमें झाग आता था, जिससे पता चलता था कि वो महिला गर्भवती है.
यदि ऐसा नहीं होता था तो महिला गर्भवती नहीं है. इसके अलावा हल्दी को महिला के मूत्र में मिलाकर उसके रंग में बदलाव देखकर गर्भावस्था का अनुमान लगाया जाता था.