बिना रॉकेट पृथ्वी पर कैसे लौटते हैं अंतरिक्ष यात्री? जान लें जवाब
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तरफ से गए अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अभी भी स्पेस में फंसे हुए हैं.
जानकारी के मुताबिक इनकी वापसी अगले साल तक ही संभव है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी इस साल संभव नहीं है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब कोई अंतरिक्ष यात्री यहां से स्पेस के लिए जाता है, तो रॉकेट लॉन्च किया जाता है, लेकिन जब उसे वापस धरती पर आना होता है, तो वह बिना रॉकेट के कैसे आता है?
चंद्रमा पर कोई स्पेस सेंटर या लॉन्चर नहीं होता. अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लॉन्च किया जाता है और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पार करके स्पेस में भेजा जाता है.
विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए किसी वस्तु का न्यूनतम वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होना चाहिए.
यही कारण है कि अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा से बाहर भेजने के लिए शक्तिशाली रॉकेट का उपयोग किया जाता है.
बता दें की पृथ्वी से जब रॉकेट को लॉन्च किया जाता है तब उसके साथ स्पेसक्राफ्ट को भी स्पेस में भेजा जाता है. रॉकेट का कम केवल स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर ले जाने का होता है.
उसके बाद स्पेस में केवल स्पेसक्राफ्ट ही रह जाता है जिससे अंतरिक्षयात्री वापस आते हैं. इन स्पेसक्राफ्ट्स को कैप्सूल भी बोला जाता है.
चंद्रमा पर वापसी के लिए भी स्पेसक्राफ्ट को उसी सिद्धांत के अनुसार संचालित किया जाता है. पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड है, जबकि चंद्रमा का पलायन वेग 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड है.
अंतरिक्ष यान में लगे इंजन इसे इस वेग तक पहुंचाने में सक्षम होते हैं, जिससे स्पेसक्राफ्ट आसानी से वापस पृथ्वी की ओर लौट सकता है.