आखिर इतनी कड़ाके की ठंड में भी कैसे नंगे बदन रह लेते हैं नागा साधु? यहां जानें
महाकुंभ के दौरान नागा साधुओं का शाही स्नान ढोल-नगाड़ों के साथ संगम तट पर होता है और यह अद्भुत नजारा होता है.
खास बात ये है कि इन साधुओं का शरीर नंगा होता है और वो कड़ाके की ठंड में भी बिना किसी गर्म कपड़े के साधना करते हैं.
ठंड में हम जहां हीटर का सहारा लेते हैं, वहीं नागा साधु ठंड का अनुभव नहीं करते. इसके पीछे का कारण है उनकी कठोर साधना और तपस्या.
साधना से शरीर और मन पर नियंत्रण प्राप्त किया जाता है, जिससे वे शारीरिक सुख और दुख को सलरता से सहन कर पाते हैं.
नागा साधु नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं, जिससे उनके शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और वो अपने शरीर को अलग-अलग परिस्थितियों के योग्य ढाल सकते हैं.
इसके साथ ही वो शरीर पर भस्म लगाते हैं, जिसे शास्त्रों में पवित्र माना गया है. भस्म को अंतिम सत्य माना जाता है, क्योंकि शरीर एक दिन भस्म में बदल जाएगा.
विज्ञान के अनुसार, भस्म शरीर पर एक इंसुलेटर की तरह काम करती है, जो सर्दी और गर्मी का एहसास कम कर देती है.
यह साधुओं को ठंड से बचाती है और उन्हें साधना में मदद करती है. इस तरह नागा साधु ठंड में भी नंगे बदन रहकर तपस्या करने में योग्य होते हैं.