केंद्र सरकार ने लोकसभा में 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल पेश किया है. यह बिल केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा ये बिल पेश किया है.

लेकिन इस बिल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनमें एक सवाल यह भी है कि अगर किसी राज्य में सरकार गिर जाती है, तो वन नेशन वन इलेक्शन कैसे काम करेगा.

इस स्थिति में आज हम आपको बताएंगे कि इस बिल के लागू होने के बाद यदि किसी राज्य में सरकार गिरती है, तो यह कैसे काम किया जाएगा.

वन नेशन वन इलेक्शन बिल में कई प्रकार के प्रावधान किए गए हैं. इनमें से एक प्रावधान यह है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव या किसी अन्य कारण से सरकार गिर जाती है, तो ऐसी स्थिति में क्या कदम उठाए जाएंगे.

प्रावधान के अनुसार, ऐसी स्थिति में उस राज्य में मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे. हालांकि, नई विधानसभा का कार्यकाल केवल अगले लोकसभा चुनाव तक ही रहेगा.

इसके अतिरिक्त, विधेयक में चुनाव आयोग को यह निर्देश भी दिया गया है कि चुनाव आयोजित करने से पहले सभी जरूरी तैयारी पहले ही पूरी कर ली जाए.

बिल के अनुसार, यदि लोकसभा या विधानसभा को बीच में भंग करना पड़ता है, तो मध्यावधि चुनाव 5 साल के भीतर, बची हुई अवधि के लिए आयोजित किए जाएंगे.

विधेयक में आर्टिकल 82 (A), 172 और 327 को शामिल करने का भी प्रस्ताव है. इसमें 82 (A) के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान है.

इसके अतिरिक्त, 83 में संसद के सदनों के कार्यकाल से संबंधित प्रावधान है. विधेयक में यह भी कहा गया है कि आम चुनाव के बाद राष्ट्रपति यह घोषणा करेंगे कि एक साथ चुनाव कब कराए जाएंगे.

हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार, 2029 का लोकसभा चुनाव पहले की तरह होगा, और इसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन लागू किया जाएगा.