बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है, और इसकी अत्यधिक धार्मिक मान्यता है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर दर्शन के लिए जाने वाले भक्त बिना तप्त कुंड में नहाए बद्री विशाल के दर्शन नहीं करते हैं.

तप्त कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है, चाहे बाहर का तापमान माइनस हो. यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि बर्फ से ढके स्थान पर पानी उबलता कैसे है?

तप्त कुंड के पानी को गर्म होने के पीछे वैज्ञानिक मान्यता है कि भूतापीय ऊर्जा की वजह से यहां का पानी प्राकृतिक रूप से गर्म होता है. यहां गंधक का एक बड़ा स्रोत है, जिसकी वजह से पानी हमेशा उबलता रहता है.  

वैज्ञानिकों का कहना है कि तप्त कुंड के नीचे सल्फर की बड़ी मात्रा मौजूद है, जिससे न केवल पानी गर्म रहता है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जो स्नान करने वालों के शरीर के कष्ट दूर करने में सहायक होते हैं.

तप्त कुंड, बद्रीनाथ मंदिर के बहुत करीब स्थित एक प्राकृतिक तापीय झरना है. इसका नाम संस्कृत में 'गर्म पानी का झरना' होता है. 

यहां का पानी साल भर गर्म रहता है. चाहे कितना भी बर्फ पड़े या- 100 डिग्री सेंटीग्रेड में टेंपरेचर चल जाए फिर भी यहां का पानी गर्मी ही रहता है. 

धार्मिक मान्यता यह है कि तप्त कुंड में स्नान करने से शरीर की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. इसे भगवान अग्निदेव का निवास स्थल माना जाता है.

बद्रीनाथ मंदिर जाने से पहले इस कुंड में डुबकी लगाना शुभ माना जाता है. बिना डुबकी लगाई कोई भी भक्त भगवान बद्री विशाल के दर्शन नहीं करता है. 

ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड में नहाते ही सारी थकान, शरीर के दर्द और अन्य रोग भी ठीक हो जाते हैं.