अमेरिका के वॉशिंगटन में स्थित थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने 36 देशों में बड़ा सर्वे किया — हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए.

प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, बचपन से जिन लोगों का मजहब इस्लाम रहा है, उनमें से ज्यादातर वयस्क होने के बाद भी मुस्लिम ही हैं

प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे वाले 36 देशों में में ऐसे वयस्क लोगों की संख्या बहुत ही कम है, जो जन्म से मुस्लिम थे लेकिन अब खुद को मुस्लिम नहीं मानते हैं.

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, इस्लाम छोड़ने वालों की संख्या बेहद कम होती है — जिन्होंने ऐसा किया उनमें से ज़्यादातर अब नास्तिक या ईसाई हैं.

सर्वे में शामिल 36 देशों में से केवल 13 देशों से ही पर्याप्त नमूने प्राप्त हुए हैं, जहां इस्लाम छोड़ने का आकलन किया जा सके. उन देशों में अमेरिका शामिल है.

सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका में 20% और केन्या में 11% मुस्लिम पहले किसी और मजहब से जुड़े थे.

इस्लाम अपनाने वालों में ज़्यादातर लोग पहले ईसाई थे. उसी प्रकार, भारतीय महाद्वीप में जिन लोगों ने इस्लाम कबूला वे पहले हिंदू थे

सर्वे के मुताबिक, इंडोनेशिया में 93% लोग जन्म से ही मुस्लिम हैं, जहां इस्लाम सैकड़ों साल पहले ही पहुंच गया था

सर्वे के मुताबिक, मजहब बदलने से इस्लाम को न तो बहुत बड़ा फायदा हुआ, और न नुकसान.

अर्थात, इस्लाम में आने और छोड़ने वालों की संख्या लगभग बराबर है.