2000 रुपये के 1 नोट को छापने में कितना आता है खर्च? जानिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी एक ऐलान किया था. इस दौरान 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए थे.
इसके बाद लोगों की तकलीफों को जल्द दूर करने के लिए सरकार ने 2000 रुपये का नोट शुरू किया था.
मगर, इसकी उम्र 7 साल से भी कम रही और सरकार ने इसे 19 मई, 2023 को बंद कर दिया. साथ ही लोगों से अपील की थी कि वह इसे जमा करा दें.
हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद 7409 करोड़ रुपये मूल्य के 2000 रुपये के नोट अभी भी वापस नहीं लौटे हैं.
अब सरकार ने जानकारी दी है कि 2000 रुपये के एक नोट को छापने में उन्हें 3.54 रुपये खर्च करने पड़े थे. इन 1000 नोट के बंडल को छापने में 3540 रुपये का खर्च आया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि जुलाई, 2016 से जून 2018 के बीच सभी नए नोटों की प्रिंटिंग पर 12,877 करोड़ रुपये की लागत आई थी.
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक, 2000 रुपये के 370.2 करोड़ नोटों की सप्लाई की गई. इसकी वैल्यू 7.40 लाख करोड़ रुपये है.
वित्त मंत्री ने बताया कि 2000 रुपये के 1000 पीस नोट छापने में 3540 रुपये की लागत आई है. इस हिसाब से एक नोट पर सरकार को 3.54 रुपये खर्च करने पड़े थे.
वित्त मंत्री ने बताया कि 19 मई 2023 को जब 2000 रुपये नोटों को वापस लेने का एलान किया गया तब 3.56 लाख करोड़ रुपये के बैंकनोट्स सर्कुलेशन में मौजूद थे जिसमें से 30 जून, 2024 तक 3.48 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुके हैं.
वित्त मंत्री ने बताया कि नवंबर, 2026 में 500 और 1,000 रुपये के नोट कुल नोटों का 86.4 फीसदी था. इसलिए 2000 रुपये का नोट शुरू किया गया था. इसका मकसद पूरा हो जाने के बाद इसे बंद कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि लेन-देन के लिए लोग 2000 के बैंक नोटों को तरजीह भी नहीं दे रहे थे. हालांकि, 2.08 फीसदी 2000 रुपये के नोटों का लौटना अभी बाकी है.