परमाणु हथियार को एक्टिवेट करने में कितना लगता है समय? यहां जानें पूरा प्रोसेस
अगर कोई देश परमाणु हमला करने का निर्णय लेता है तो हथियार को सक्रिय करने और लॉन्च करने में लगने वाला समय कई कारकों पर निर्भर करता है.
भारत-पाक युद्ध के दौरान केराना हिल्स की रेडिएशन लीक की बात सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है. दोनों ही देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि परमाणु हथियार को एक्टिवेट करने में कितना समय लगता है? चलिए हम आपको बताते हैं पूरा प्रोसेस.
परमाणु हथियार को एक्टिवेट का सबसे पहला प्रोसेस निर्णय लेना है. यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है जहां देश का सर्वोच्च नेतृत्व हमले का आदेश देता है.
दूसरा प्रोसेस कमांड एंड कंट्रोल है. आदेश को सैन्य कमांड सेंटर तक पहुंचाया जाता है जहां इसे सत्यापित किया जाता है. इसमें "टू-मैन रूल" या अन्य सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हो सकते हैं ताकि गलत उपयोग रोका जा सके.
वहीं तीसरा प्रोसेस हथियारों को लॉन्च करने के लिए तैयार किया जाता है जिसमें मिसाइलों को सक्रिय करना, टारगेट सेट करना और तकनीकी सत्यापन शामिल हैं.
अमेरिका के पास दुनिया की सबसे उन्नत परमाणु कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणाली है. इस मिसाइल को लॉन्च करने में 10-15 मिनट लग सकते हैं.
वहीं रूस की परमाणु प्रणाली भी अत्यधिक उन्नत है. रूस के पास डेड हैड जैसी स्वचालित प्रणालियां है जो जवाबी हमले को सुनिश्चित करती है. इस मिसाइल को 10-4 मिनट में लॉन्च कर सकते हैं.
चीन की परमाणु रणनीति "नो फर्स्ट यूज" पर आधारित है. इसके हथियार हमेशा तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों को सक्रिय करने और ईंधन भरने में 15-30 मिनट का टाइम लग सकता है.
फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम की परमाणु शक्ति मुख्य रूप से पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों पर निर्भर है. लॉन्च के लिए पनडुब्बी कमांडर को आदेश प्राप्त करना और सत्यापित करना होता है जिसमें कुछ मिनट लग सकते हैं.
भारत के हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों को सक्रिय करने के लिए असेंबली और ईंधन भरने की आवश्यकता हो सकती है. अग्नि मिसाइलें और पनडुब्बी-आधारित K-4 मिसाइलें लॉन्च के लिए समय ले सकती हैं.
पाक की परमाणु रणनीति भारत पर केंद्रित है. इसमें त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता है. हालांकि, इसके हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते. मिसाइलों (जैसे गौरी शाहीन) को सक्रिय करने में 30 मिनट लगता है.