माइग्रेन एक विशेष सिरदर्द है, जो सामान्यतः सिर के एक तरफ और कभी-कभी दोनों तरफ महसूस होता है.

AARIKA SINGH

माइग्रेन का दर्द बेहद तीव्र होता है और यह कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है.

माइग्रेन के समय मरीज को तेज रोशनी, आवाज या गंध से असहजता होती है, साथ ही मतली या उल्टी की भी संभावना रहती है.

बाबा रामदेव का कहना है, 'गर्म देसी घी में बनी जलेबी माइग्रेन से राहत देने के साथ शरीर को ताकत भी देती है.'

'जलेबी बनाते वक्त सिर्फ मैदा नहीं, उसमें बेसन और पनीर भी मिलाएं. इससे वह औषधीय गुणों वाली बन जाती है.'

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चाशनी बनाने के लिए खांड और ब्राउन शुगर का उपयोग करें और इसमें देसी गाय का घी मिलाएं, यह सेहत के लिए बेहतर रहेगा.'

'गर्म जलेबी को दूध या दही के साथ खाएं, यह सिरदर्द और माइग्रेन के लिए बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है और शरीर को ताकत भी देती है.'

'गाय के दूध और घी से बनी जलेबी न सिर्फ मस्तिष्क को पोषण देती है, बल्कि पूरे शरीर को ऊर्जा और मजबूती भी प्रदान करती है.'

डॉ. कमलेश प्रसाद के अनुसार, गाय का घी मधुर, ठंडा और स्निग्ध गुणों वाला होता है, जो वात और पित्त को संतुलित करता है.

माइग्रेन से राहत पाने के लिए नाक में रोज गाय के घी की 2 बूंद डालना या इसका सेवन करना लाभकारी हो सकता है.

आयुर्वेदाचार्य डॉ. मिहिर खत्री के अनुसार, रबड़ी-जलेबी का स्वादिष्ट संयोजन माइग्रेन के कुछ मरीजों के लिए कारगर घरेलू उपाय हो सकता है.

डॉ. खत्री बताते हैं कि सूर्योदय से पहले का समय वात दोष के प्रभाव में होता है, जो सिरदर्द जैसे दर्द को जन्म देता है.

चूंकि जलेबी और रबड़ी कफ बढ़ाने वाले खाद्य हैं, ये वात दोष को संतुलित करके माइग्रेन में राहत पहुंचा सकते हैं. लेकिन यह उपाय अधिकतम 1 से 3 हफ्ते तक ही अपनाएं.