आपने पुरुष नागा साधुओं के बारे में तो खूब सुना होगा लेकिन महिला नागा साधु के बारे में कम ही सुनने को मिलता है.

महिलाएं नागा साध्वी कैसे बनती है जानें उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प रहस्य.

इस बार महाकुंभ में नागा पुरुषों के साथ महिलाओं का भी दीक्षा संस्कार हो रहा है.

आपको बता दें कि साध्वी बनने के लिए किन कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है.

महिला नागा साधु 'नागिन', 'अवधूतनी,' 'माई' कहलाती हैं और वस्त्रधारी होती हैं.

प्रयागराज की एक सन्यासिनी ने बताया कि नागा सन्यासी बनने का निर्णय लेने वाली महिला के घर-परिवार और सांसारिक जीवन की गहन जांच-पड़ताल होती है.

महिला को यह प्रमाणित करना होता है कि उसे मोह-माया से अब कोई दिलचस्पी नहीं है और वह ब्रह्मचर्य का पालन करने का संकल्प ले चुकी है.

दीक्षा प्राप्त करने के बाद महिला सन्यासी को सांसारिक वस्त्र त्याग कर अखाड़े से मिले एक पीले वस्त्र से सन्यासिनी की तरह अपने तन को ढकना होता है.

इनका मुंडन, पिंडदान और नदी स्नान का क्रम चलता है. इस पंच संस्कार में इन्हें गुरु की ओर से पहले भभूत, वस्त्र और कंठी प्रदान की जाती है.

इसके बाद अखाड़े में उसे नागा सन्यासिन मान लिया जाता है और ‘माता' की पदवी देकर उसका सम्मान किया जाता है.