हम सभी ने कई बार कागज को फोल्ड किया होगा, लेकिन आपने कभी गौर किया है कि उसे मोड़ते ही उसमें शिकन पड़ जाती है जो फिर कभी नहीं जाती.

कागज को मोड़कर तो हर कोई फेंक देता है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि वो अपने पुराने फॉर्म में दोबारा क्यों नहीं लौट पाता. 

कागज पर पड़ने वाली क्रीज के बारे में जानने से पहले ये जरूर जान लीजिए कि कागज को बनाया कैसे जाता है. क्या है वजह आइए बताते हैं. 

करीब 5 हजार साल पहले मिस्र के लोग नील नदी के किनारे उगने वाले पौधों से बनता था जिसे पैपायरस के नाम से जाना जाता था.

लेकिन अब बदलते तकनीक के साथ कागज को बनाने के लिए प्लांट फाइबर को चपटा कर डाई किया जाता है और सपाट सर्फेस में बदल दिया जाता है.

कागज बनाने के लिए आमतौर पर बांस, जूट, कॉटन आदि के प्लांट मैटेरियल को पीटा जाता है. पीटने से फाइबर बाहर निकल आता है. 

फिर प्लान मैटेरियल को पानी के साथ मिलाकर पल्प में बदला जाता है. एक लंबी प्रक्रिया होने के बाद कागज बनकर तैयार होता है.

इसे समझने से पहले जान लीजिए कि हर वस्तु की इलास्टिक लिमिट होती है और एक प्लास्टिक रीजन होता है.

वस्तु की इलास्टिक लिमिट वो लिमिट है जिस तक किसी भी वस्तु को मोड़ा जा सकता है. 

वहीं, दूसरी तरफ हर वस्तु में प्लास्टिक रीजन भी होता है. इस हद तक मोड़ने पर वस्तु पर परमानेंट निशान या शिकन पड़ जाते हैं.

पेपर के मामले में अगर आप पेपर को बेलनाकार मोड़ दें तो वह पुराने आकार में वापस आ जायेगा, लेकिन किसी और तरह से मोड़ने पर उसमें शिकन पड़ जाएगी.