इस सीरीज के रिलीज होते ही 24 साल पुराना फ्लाइट हाईजैक केस फिर से चर्चा में आ गया है. इस घटना ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी.
यह घटना 24 दिसंबर 1999 की है, जब नेपाल से दिल्ली के लिए रवाना हुए भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया गया था और यात्रियों को सात दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया था.
ये भारत के इतिहास की सबसे बड़ी हाईजैक थी. इस हाईजैक का मकसद था तीन खूंखार आतंकियों की रिहाई करवाना. आइए जानते हैं इसके बारे में कुछ खास जानकारी
IC 814 ने नेपाल के काठमांडू में स्थित त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन आतंकियों ने इसे बीच में ही हाईजैक कर लिया था.
आईसी 814 इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट थी. इसमें 176 पैसेंजर्स और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे. इस प्लेन के पायलट कैप्टन देवी शरण और चीफ फ्लाइट अटेंडेंट अनिल शर्मा थे.
आतंकियों ने विमान को हाईजैक करने के बाद ईंधन भरने के लिए दुबई एयरपोर्ट पर रोका था, जहां 28 यात्रियों को उतारा गया.
इसके बाद कंधार ले जाया गया और भारत के जेलों में बंद 36 से ज्यादा आतंकियों को छोड़ने की मांग की. इनमें मसूर अजहर भी शामिल था.
कंधार में 8 दिन तक विमान में बैठे यात्रियों को बंधक बनाकर रखा गया. आखिरकार 31 दिसंबर 1999 की रात को रिहा कर दिया गया.
जिन पांच आतकियों ने इस विमान को हाईजैक किया था उनका नाम इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, जहूर मिस्त्री और शाकिर था.
हाईजैकर्स ने अपने 36 चरमपंथी साथियों की रिहाई के साथ-साथ 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की फिरौती की मांग रखी थी. हालांकि, बाद में सिर्फ 3 आतंकियों को रिहा किया गया था.
छोड़े गए आतंकवादियों में जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद था.