एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का नाम बदलकर चीन ने नए विवाद को जन्म दे दिया है.
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने चौथी सूची जारी करते हुए 30 स्थानों के नाम बदले हैं.
इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में चीनी अक्षरों, तिब्बती और पिनयिन का उपयोग करके 11 स्थानों का नाम बदला था, यह नामों की तीसरी सूची थी.
चीन की तरफ से अभी तक कुल बदले 30 नामों को 1 मई 2024 से प्रभावी होने का आदेश जारी किया गया है.
भारत की तरफ से इस बारे में विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य में मनगढंत नाम रखने से वास्तविकता नहीं बदलेगी कि यह भारत का अभिन्न अंग है.
चीन काफी पहले से पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है और उसे दक्षिणी तिब्बत बताता है.
वैसे तो चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोकने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी खास दिलचस्पी तिब्बत और भूटान की सीमा से लगे हुए तवांग में सबसे ज्यादा है, जहां भारत का सबसे विशाल बौद्ध मंदिर है.
अगर एरिया वाइज देखें तो 8374 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया के साथ अरुणाचल प्रदेश पूरे नॉर्थ-ईस्ट रीजन में सबसे बड़ा राज्य है.
इस कारण भारत के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र बन जाता है. जोकि दूसरी तरफ चाइना के लिए एक अनुकूल स्थिति नहीं है.
यदि चाइना भविष्य में तवांग पर आक्रमण करने में सफल होता है तो यह रास्ता चाइना को भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकनस नेक तक पहुंचने में एक आसान रास्ता भी प्रदान करेगा.
सिल्लीगुड़ी कॉरिडोर भूमि का एक नैरो स्ट्रेच है, जो भारत को अपने ईस्टर्न राज्यों से जोड़ता है और इस वजह से यह भी एक रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण केंद्र बन जाता है.