भारत-पाकिस्तान विभाजन: एक दर्दनाक इतिहास की गूंज

15 अगस्त 1947 – भारत आज़ाद हुआ, लेकिन इस आज़ादी की कीमत लाखों लोगों ने अपने खून से चुकाई. 

भारत-पाकिस्तान विभाजन इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक थी,भाई-भाई से बिछड़ गए, घर जल गए, और एक देश दो टुकड़ों में बंट गए. 

1940 के दशक में आज़ादी की मांग तेज़ हो रही थी, लेकिन जैसे-जैसे भारत अंग्रेजों से मुक्त होने के करीब पहुंचा, धार्मिक और राजनीतिक तनाव बढ़ने लगे.

 मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने अलग देश – पाकिस्तान की मांग की,और 1947 में, ब्रिटिश सरकार ने भारत को विभाजित करने का फ़ैसला किया.

3 जून 1947 को, ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने ‘माउंटबेटन प्लान’ की घोषणा की,और  यह तय हुआ कि भारत को दो देशों में बांटा जाएगा – भारत और पाकिस्तान.

 उन्होंने एक लकीर खींच दी, जिसने हज़ारों साल पुरानी सभ्यता को दो हिस्सों में बांट दिया.ब्रिटिश अधिकारी सर सिरिल रेडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान की सीमा तय करने का जिम्मा दिया गया,उन्हें एक ऐसा देश बांटना था जिसे वह ठीक से जानते भी नहीं थे.  

देश बांटते ही, हिंदू, मुस्लिम और सिखों के बीच भयानक दंगे भड़क उठे,लोग अपने ही पड़ोसियों के दुश्मन बन गए, लाहौर, दिल्ली, कोलकाता, अमृतसर और पंजाब के गांवों में चारों ओर आग लगी थी.

लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर नए देश की ओर भागना पड़ा, ट्रेनें लोगों से भरी हुई थीं, लेकिन इनमें से कई ट्रेनें गंतव्य तक नहीं पहुंच सकीं – वे लाशों से भरी हुई वापस लौटीं.

विभाजन के साथ ही, कश्मीर और अन्य मुद्दों को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता गया, 1947, 1965, 1971 और 1999 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुए, और आज भी, विभाजन का दर्द दोनों देशों के बीच खिंची इस लकीर में देखा जा सकता है.

भारत-पाकिस्तान विभाजन सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं थी, यह एक ऐसा ज़ख्म था जो आज भी कई दिलों में ताजा है.