आपने देखा कोहिनूर हीरा, जानें अब तक किस-किस के हाथों से गुजरा ये अनमोल रत्न?

कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है, यह पहले भारतीय राजा के पास था...बाद में ये विदेशी शासकों के हाथो में चला गया

कोहिनूर हीरे का इतिहास काफी जटिल है, आंध्र प्रदेश के काकतीय वंश से लेकर ब्रिटिश शाही परिवार तक, कई शासकों और राजवंशों ने इसकी मिल्कियत संभाली है.

ऐसा कहा जाता है कि आंध्र में काकतीय वंश के राजा कोहिनूर हीरे के सबसे पहले मालिक थे. 13वीं शताब्दी में, यह हीरा गोलकोंडा के खान से निकाला गया था. 

14वीं शताब्दी में इस हीरे को दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने काकतीय वंश से छीन लिया था

खिलजी के बाद यह हीरा मुग़ल सम्राट बाबर के खजाने में पहुंचा दिया गया

मुगलों की ताकत कमजोर पड़ने पर, ईरानी शासक नादिर शाह ने 1739 में दिल्ली पर हमला किया और कोहिनूर हीरे को अपने कब्जे में लिया

कहते हैं कि नादिर शाह ने ही इसे कोह-ए-नूर (रोशनी का पर्वत) नाम दिया था

नादिर शाह की मौत के बाद उसका सेनापति अहमद शाह अब्दाली (अफगानिस्तान) कोहिनूर हीरे का मालिक बना 

19वीं सदी की शुरुआत में अफगान शासक शुजा, जो अहमद शाह अब्दाली के वंशज थे, ने कोहिनूर को सिख महाराजा रंजीत सिंह को सौंपा

1849 में द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब पर कब्‍जा किया और कोहिनूर हीरा भी उन्‍होंने कब्‍जे में ले लिया

1850 में कोहिनूर को ब्रिटेन भेज दिया गया और वहां महारानी विक्टोरिया के ताज में जड़ा गया

फिलहाल, कोहिनूर हीरा ब्रिटिश महारानी के ताज में लगा हुआ है