लेकिन इतिहास में एक साइंटिस्ट ऐसे भी थे, जिनका नाम काफी कम लोगों ने सुना होगा, लेकिन उनकी अभूतपूर्व खोज ने धरती पर लाखों लोगों की जान बचाने में अहम किरदार निभाया था.
ये भारतीय साइंटिस्ट डॉ. उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी थे. जिनके काम की धूम इस कदर थी कि उनके नाम पर एक बार नहीं, बल्कि 6 बार प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार देने पर विचार किया गया.
भारत की ओर से पहली बार साल 1929 में दो साइंटिस्टों का नाम नोबेल के लिए भेजा गया. उनमें फिजिक्स के लिए डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन और डॉ. उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी का नाम था
लेकिन उस साल द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से दुनिया भर में अशांति फैली हुई थी. जिसकी वजह से नोबेल पुरस्कार के लिए विजेताओं के चयन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी.
1920 के दशक में डॉ. ब्रह्मचारी द्वारा यूरिया स्टिबामाइन की खोज करने के बाद इस बीमारी से होने वाली मृत्यदर साल 1925 तक 95 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई थी.