कानूनन रजिस्ट्रेशन और ड्रेमोक्रेटिक तरीके से चुनाव, रामनामी समाज की दिलचस्प बातें
राम के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए “कण-कण में बसे हैं राम” भले एक नारे के सिवा कोई और महत्व नहीं रखता हो.
लेकिन छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज के लिए राम का नाम उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
इस समाज की एक अनोखी संस्कृति है, जिसमें राम नाम को कण-कण में बसाने की परम्परा है.
इसी परम्परा के तहत इस संप्रदाय से जुड़े लोग अपने पूरे शरीर पर “राम-राम” का गुदना अर्थात स्थाई टैटू बनवाते हैं.
माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी कहा जाता है.
वहीं पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है.
इस समाज के लोग राम-राम लिखे कपड़े धारण करते हैं, घरों की दीवारों पर राम-राम लिखवाते हैं.
इतना ही नहीं आपस में एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह कर करते हैं, यहां तक कि एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते भी हैं.
रामनामी समाज ने कानूनन रजिस्ट्रेशन कराया है और ड्रेमोक्रेटिक तरीके से उनके चुनाव हर 5 साल के लिए कराए जाते हैं.
ये और बात है कि इस संप्रदाय की आस्था न तो अयोध्या के राम में है और ना ही मंदिरों में रखी जाने वाली राम की मूर्तियों में.