International Booker Prize: अब तक इन भारतीयों को मिल चुका ये पुरस्कार

अब तक कई भारतीय उपन्यासकारों को बुकर प्राइज अवार्ड सेरेमनी में प्रमुखता से शामिल होने का अवसर मिला है.

रोहिंटन मिस्त्री: यह एक इंडो-कनाडाई उपन्यासकार हैं, जिन्होंने तीन उपन्यास लिखे और उन्हें तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया.

किरन देसाई: इस भारतीय उपन्यासकार को 2006 में उनके उपन्यास The Inheritance of Loss के लिए पुरस्कार दिया गया.

अरुंधति रॉय: इन्हें वर्ष 1997 में ‘गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ नॉवेल के लिए यह पुरस्कार मिला.

इंद्रा सिन्हा: एक ब्रिटिश-भारतीय लेखिका, जो 2007 में भोपाल गैस त्रासदी पर अपने उपन्यास – ‘एनिमल्स पीपल’ के लिए फाइनलिस्ट हुई थीं.

अमिताभ घोष: बंगाली लेखक जिन्हें छठे उपन्यास, ‘सी ऑफ पॉपीज़’ के लिए वर्ष 2008 में शॉर्टलिस्ट किया गया था,

उस साल दो भारतीयों ने एक साथ बुकर शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई. दूसरे थे अरविंद अडिगा.

अरविंद अडिगा: चेन्नई में जन्मे एक भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई लेखक और पत्रकार. उनके पहले उपन्यास, द व्हाइट टाइगर ने 2008 मैन बुकर पुरस्कार जीता.

जीत थायिल: कई प्रतिभाओं के धनी उपन्यासकार, जो कवि और संगीतकार भी हैं. 2012 में मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुने गए, उनकी पहली कृति- ‘नारकोपोलिस’ सेलेक्ट हुई.

गीतांजलि श्री: इस भारतीय उपन्यासकार को 2022 में Tomb of Sand नोवेल के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला. जिसे Daisy Rockwell ने ट्रांसलेट किया.