दुनियाभर में इनकी मांग भी बढ़ती जा रही है. खासकर यूके के स्पर्म डोनर्स की. यूके के स्पर्म डोनर्स का स्पर्म दुनियाभर में भेजा जा रहा है.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर यूके के स्पर्म की ही मांग दुनियाभर में क्यों बढ़ती जा रही है? चलिए जानते हैं.
कई वर्ष पहले स्पर्म की कमी से जूझ रहा ब्रिटेन आज दूसरे देशों को शुक्राणु निर्यात कर रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह यहां का कानून है.
दरअसल, यूके में एक स्पर्म डोनर 10 से अधिक परिवार नहीं बना सकता. हालांकि, यूके से विदेशों में स्पर्म भेजने वाली कंपनियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार, यूके में डोनेट किए गए स्पर्म कई देशों में निर्यात होते हैं व इससे दुनियाभर में हाफ-सिबलिंग (सौतेले भाई-बहनों) की संख्या बढ़ रही है जिसे लेकर एक्सपर्ट ने चेताया है.
एक्सपर्ट के अनुसार शुक्राणु दान को आमतौर पर किसी जरूरतमंद परिवार के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन यह महज आबादी बढ़ाने या पैसा कमाने का जरिया नहीं होना चाहिए.
प्रजनन चैरिटी प्रोगे्रस एजुकेशनल ट्रस्ट की निदेशक सारा नॉरक्रॉस ने बताया कि कुछ स्पर्म बैंकों का 10 परिवारों की सीमा को 75 तक बढ़ाना चिंताजनक है.
करीब 10 वर्ष पहले तक खुद ब्रिटेन, अमरीका और डेनमार्क से शुक्राणु आयात करता था. लेकिन 2019 और 2021 के बीच ब्रिटेन ने शुक्राणु के 7542 स्ट्रॉ निर्यात किए.
यूरोपीय स्पर्म बैंक 90 फीसदी स्पर्म का निर्यात करता है. इसके अलावा अंडादान भी बढ़ा है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह मानव तस्करी जैसा है.