इजरायल और हमास के बीच जंग इस दौरान गाजा पर बमबारी में इजरायली सेना द्वारा लेटेस्‍ट AI सिस्‍टम के इस्‍तेमाल का दावा करने वाली रिपोर्टें सामने आई हैं.

इजराइल के बमबारी अभियान में लैवेंडर और गॉस्पेल का उपयोग एआई और आधुनिक युद्ध के अंतर्संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल की ओर इशारा करता है.

लैवेंडर और गॉस्पेल नाम के इन सिस्‍टम ने आईडीएफ की टारगेटिंग स्‍ट्रेटजी में केंद्रीय भूमिका निभाई है. ऐसे में अब इनकी तैनाती के नैतिक और कानूनी निहितार्थों के बारे में बहस छिड़ गई है. 

इजरायल की एलीट इंटेलिजेंस डिवीजन, यूनिट 8200 द्वारा विकसित लैवेंडर, एक एआई-संचालित डेटाबेस के रूप में काम करता है, 

जिसे हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) से जुड़े संभावित लक्ष्यों की पहचान करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इज़राइली-फिलिस्तीनी की रिपोर्ट के अनुसार, लैवेंडर ने शुरुआत में हमास या पीआईजे से जुड़े 37,000 फिलिस्तीनी पुरुषों की पहचान की.

लक्ष्यों की पहचान करने के लिए एआई का उपयोग इजरायली खुफिया तंत्र, मोसाद और शिन बेट के कार्य करने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है.

लैवेंडर की जानकारी के आधार पर सैनिकों ने अक्सर दो सेकंड में निर्णय लिया, जिसमें यह निर्धारित करने में कम से कम 20 सेकंड लगे कि इन पहचाने गए लक्ष्यों पर बमबारी की जाए या नहीं

लैवेंडर के विपरीत जो मानव लक्ष्यों की पहचान करता है, गॉस्पेल कथित तौर पर गुप्‍त सुरंगों और इमारतों को टारगेट के रूप में पहचानता है. 

आईडीएफ ने एक बयान में कहा, "यह एक ऐसा सिस्‍टम है, जो ऑटोमेटिक उपकरणों के उपयोग से तेज गति से लक्ष्य तैयार करने की अनुमति देती है

हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि एआई ऑपरेटेड टारगेट सिस्‍टम आमतौर पर विविध डेटा सेटों का विश्लेषण करती हैं, जिनमें ड्रोन इमेजरी, इंटरसेप्टेड संचार, निगरानी डेटा और व्यक्तियों और समूहों के व्यवहार पैटर्न शामिल हैं.

इजराइल के बमबारी अभियान में लैवेंडर और गॉस्पेल का उपयोग एआई और आधुनिक युद्ध के अंतर्संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल की ओर इशारा करता है.