UNESCO की विश्व विरासत सूची में एक जापानी द्वीप पर मौजूद सोने के खान को शामिल किया गया है. हालांकि शुरुआत में इसे लेकर दक्षिण कोरिया ने आपत्ति जताई थी.
यूनेस्को ने बीते 27 जुलाई को नई दिल्ली में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की बैठक में खान को सूची में शामिल किए जाने की पुष्टि की, जो कि ‘खनन गतिविधियों और श्रम संगठन’ के पुरातात्विक संरक्षण पर प्रकाश डालती है.
हालांकि साउथ कोरिया ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहां कोरियाई लोगों से अनैच्छिक श्रम कराया जाता था.
हेरिटेज कमेटी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कोरियाई मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार करने के अंधेरे इतिहास को दर्शाने के लिए सहमति जताने बाद जापान की विवादास्पद Sado Gold Mine को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल कर लिया है.
उत्तरी जापान में निगाटा के तट के पास एक द्वीप पर स्थित यह खदान लगभग 400 वर्षों तक संचालित थी और 1989 में बंद होने से पहले तक यह दुनिया की सबसे बड़ी सोने की उत्पादक थी.
यह युद्ध के दौरान जापान द्वारा कोरियाई मजदूरों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का गवाह रहा है.
दक्षिण कोरिया सहित कमेटी के सदस्यों ने नई दिल्ली में 27 जुलाई की अपनी वार्षिक बैठक में इसे सूची में शामिल करने के लिए सर्वसम्मति से समर्थन दिया.
जापानी प्रतिनिधि ने कमेटी को बताया कि जापान ने कोरियाई मजदूरों के काम की गंभीर परिस्थितियों को समझाने और उनकी कठिनाई को याद करने के लिए एक नई प्रदर्शनी स्थापित की है.
जापान ने स्वीकार किया कि कोरियाई लोगों से खदान में अधिक खतरनाक काम कराया जाता था, जिससे उनमें से कुछ लोगों की मौत हो गई थी. उनमें से कई को कम भोजन और लगभग कोई छुट्टी नहीं दी जाती थी.
जापानी अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा सैडो द्वीप सोने की खदानों में सभी श्रमिकों के लिए सालाना एक मेमोरियल सर्विस का भी आयोजन करेगा.