नवरात्र में कन्या पूजन ही क्यों? जानें 10 साल तक की कन्याओं को भोजन कराने का महत्व

हिंदू नववर्ष के साथ प्रारंभ होने वाली चैत्र नवरात्रि इस साल 30 मार्च 2025 (रविवार) से रेवती नक्षत्र और एंद्र योग में प्रारंभ होगी. 

हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. वहीं 5 अप्रैल को महाअष्टमी, 6 अप्रैल को महानवमी में पाठ का समापन हवन और कन्या पूजन होगा. 

मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एंव सम्पन्नता आती है. कन्या भोज के दौरान 9 कन्याओं का होना जरूरी होता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्र पर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन क्यों करते हैं? चलिए जानते हैं इसके पीछे का महत्व. 

नवरात्र पर 2 वर्ष की कन्याओं का पूजन करने पर घर में कभी धन की कमी नहीं होती है और इससे दरिद्रता भी दूर होती है. 

इसी तरह 3 साल की कन्या का पूजन करने से घर में धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है. साथ ही परिवार का माहौल खुशनुमा रहता है. 

नवमी वाले दिन 4 साल की कन्या को पूजन कराने से परिवार में कभी अशांति नहीं होती. सदैव कल्याण होता है इसलिए इस उम्र की कन्याओं को कल्याणी भी कहा जाता है. 

नवरात्र पर पांच वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है. इस आयु की कन्या को रोहिणी का स्वपरूप माना जाता है.

इस दिन छह साल की कन्याओं को भोजन कराने से व्यक्ति को हर कार्य में विजय मिलती है. इसके अलावा उसे राजयोग की भी प्राप्ति होती है. 

वहीं 7 साल की कन्या मां चंडिका का स्वरूप माना जाता है. नवरात्र पर कन्या के इस रूप में मां की आराधना करने से घरवालों को लक्ष्मी मिलती है. 

नवरात्र पर 8 वर्ष की कन्या को भोजन कराने से घर—परिवार में चल रहे सारे विवाद से मुक्ति मिलती है. 

नवमी वालें दिन 9 साल की कन्या का पूजन बहुत शुभ माना जाता है. क्योंकि इस उम्र की कन्या साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप होती हैं. 

नवरात्र में 10 साल की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. इन्हें सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है.