राजा महाराजाओं का दौर बीते हुए जमाना हो चुका है लेकिन उनके द्वारा बनाए गए महल और किले आज भी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
ऐसा ही एक किला है गोलकोंडा किला जो तेलंगाना में है. यह किला अपनी वास्तुकला और दिलचस्प इतिहास के लिए जाना जाता है.
यह किला कई 100 साल पुराना है. इस किले का निर्माण सबसे पहले महाराजा वारंगल ने 14वीं शताब्दी में करवाया था.
इस किले के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि एक चरवाहे लड़के को पहाड़ी पर एक मूर्ति मिली.
जब तत्कालीन शासक काकतिया को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने इसे पवित्र स्थान मानकर चारों ओर मिट्टी का एक किला बनवा दिया.
किले में एक रहस्यमयी सुरंग है जो महल के बाहरी भाग तक ले जाती है. हालांकि वर्तमान में किले के खंडहर होने के कारण यह सुरंग दिखाई नहीं देती है.
कहते हैं कि किले के प्रवेश द्वार पर एक निश्चित बिंदु पर खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज़ करीब एक किलोमीटर दूर पहाड़ की चोटी के मंडप पर सुनाई देती है.
यह किला समुद्र तल से 480 फीट की ऊंचाई पर बना है. इस किले में कुल आठ दरवाजें हैं. आपको बता दें यह किला 9 बजे से लेकर 5: 30 बजे तक खुला रहता है.