आपने अक्सर देखा होगा कि नागा साधु कंपकंपाती ठंड में भी हमेशा नग्न अवस्था में ही रहते हैं. वे अपने शरीर पर भस्म लपेट कर घूमते हैं. आखिर इसका कारण क्या है?
नागा साधु प्रकृति और प्राकृतिक अवस्था को महत्व देते हैं. इसलिए भी वे वस्त्र नहीं पहनते हैं. इनका मानना है कि इंसान निर्वस्त्र जन्म लेता है. इसी भावना का आत्मसात करते हुए साधु हमेशा निर्वस्त्र रहते हैं.
ऐसा माना जाता है कि नागा साधुओं को कभी ठंड नहीं लगती इसके पीछे का कारण है योग. नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं. वे अपने विचारों और खान पान पर भी संयम रखते हैं.
नागा साधु बनने की प्रक्रिया में 12 साल लग जाते हैं, जिसमें 6 साल के बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ये नागा पंथ में शामिल होने के लिए जरूरी जानकारियों को हासिल करते हैं.
नागा साधु बनने के लिए सबसे पहले इन्हे ब्रह्मचार्य की शिक्षा प्राप्त करनी होती है. इसमें सफल होने के बाद उन्हे महापुरुष की दीक्षा दी जाती है और फिर यज्ञोपवीत होता है.
इसके बाद वे अपने परिवार और स्वंय का पिंडदान करते हैं. इस प्रक्रिया को बिजवान कहा जाता है. इसी वजह से नागा साधुओं के लिए सांसारिक परिवार का कोई महत्व नहीं होता है.
नागा साधु एक दिन में 7 घरों में ही भिक्षा मांग सकते हैं. एक दिन में अगर इन्हें किसी भी घरों में भिक्षा नहीं मिली तो इन्हें भूखा ही रहना पड़ता है.