मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमवेटका की गुफाएं, जिन्हें मानव चित्रकारी और पाषाण आश्रयों के लिए विश्वभर में प्रसिद्धि मिली हुई है.

भीमबेटका अपनी गुफाओं के लिए फेमस है. यहां पर हजारों साल पुरानी गुफाएं मौजूद है जो यहां के प्राचीन इतिहास की गवाही देती है. 

कहा जाता है कि ये वो ही जगह है जहां पर पांडवो ने अज्ञातवास काटा था. तो चलिए बताते हैं आपको इस जगह से जुड़ी कुछ और खास बातें...

भीमबेटका को रॉक शेल्टर के नाम से भी जानते हैं. इस जगह की खोज साल 1957 में आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने की थी. 

जिसके बाद इसे अतिप्राचीन बस्ती की तस्दीक होने के बाद 2003 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल कर लिया था.

बता दें कि आदिमानवों की ये बस्ती रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर विंध्य रेंज की चट्टानों में स्थित है. 

वहीं इस जगह को भीमबैठका कहने के पीछे की वजह ये है कि यहां पर पांडवों ने अपना अज्ञातवास काटा था. पांडवों में भीम सबसे भारी थे. इसलिए ही इस जगह को भीमबेटका कहा जाना लगे.

बता दें कि यहां कि, भीमबेटका की पहाड़ी पर तकरीबन 700 से ज्यादा रॉक शेल्टर मिले थे. जोकि तकरीबन 9 से 10 किलोमीटर के इलाके में फैले हुए हैं. 

शोधकर्ताओं के अनुसार, यहां पाई गई चित्रकारी में से कुछ तो करीब 30 हजार साल पुरानी तक हैं. हैरानी की बात ये है कि इन चित्रों में जो रंग इस्तेमाल है वो आज भी वैसे के वैसे है. 

इतिहास के जानकार आशीष भट्ट के अनुसार, पेंटिंग में इस्तेमाल हुए रंगों को काले मैगनीज ऑक्साइड, लाल हेमटिट और चारकोल के संयोजन से तैयार किया गया था.