गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है. यह पर्व दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा दिन, 2 नवंबर को मनाई जाएगी. यह दिन इंद्र देव पर भगवान कृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाएगा. 

इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है. 

ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ अवसर पर लोग 56 व 108 तरह के पकवान बनाकर कान्हा को चढ़ाते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते हैं. इन्हीं पकवानों को 'अन्नकूट' कहा जाता है.

ऐसे में चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार इन्द्र देव ने ब्रजवासियों से क्रोधित होकर ब्रज क्षेत्र के आसापस लगातार 7 दिनों तक भारी बारिश की.

भारी बारिश से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पूरे 7 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए उठाए रखा. इसके बाद इंद्रदेव को इसका पछतावा हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी .

इस दिन दिन कृष्ण ने देवराज इंद्र के अभिमान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी. 

इसके साथ ही लोगों तक यह सीख भी पहुंचाई थी कि प्रकृति से मिलने वाली हर चीजें कितनी अहम और महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही गोवर्धन पूजा की शुरूआत की थी.