भारत के सबसे बड़े ग्रुप टाटा ग्रुप के मानद चेयरमैन रतन टाटा को उद्योग क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई अवार्ड दिए गए. 

साल 2000 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. तो वहीं साल 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 

लेकिन उन्हें भारत रत्न अवार्ड नहीं दिया गया. आखिर क्या वजह रही कि रतन टाटा को भारत रत्न नहीं दिया गया. आइए जानते हैं. 

उद्योगपति रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के जरिए कई साल देश की सेवा की, साथ ही उन्होंने न सिर्फ टाटा ग्रुप के कारोबार को बढ़ाया, बल्कि उन्होंने मानवता के लिए भी खूब काम किए. 

समय-समय पर जरूरतमंदों को खूब पैसे भी डोनेट किए. करोना काल में टाटा समूह ने 1500 करोड़ रुपए का दान दिया. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रतन टाटा ने अपनी कमाई का 60-70 फीसदी हिस्सा दान किया है और यही वजह है कि देशवासी रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं.

इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर  #BharatRatnaForRatanTata का हैशटैग भी चलाया गया था. लेकिन सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया है.

इसी बीच महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने दिवंगत रतन टाटा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है. 

आपको बता दें भारत रत्न के लिए सरकार के कुछ पैमानों को आधार बनाती है. भारत में अब तक सिर्फ एक उद्योगपति को भारत रत्न दिया गया है. 

वह भी रतन टाटा के परिवार से हैं. साल 1992 में जहांगीर रतन जी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.