गुजरात में दिवाली के साथ ही पुराना साल खत्म हो जाता है और अगले दिन ही नव वर्ष शुरू होता है, जो बेस्तु वरस (Bestu Varas) के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन गुजराती लोग मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और नए वस्त्र धारण कर अपने रिश्तेदारों और करीबियों को गले लगकर उन्हें नए साल की शुभकामनाएं देते हैं.
गुजराती नववर्ष पुराने चोपड़ा के बंद होने और नये चोपड़ा के खुलने के साथ मनाया जाता है. गुजरात में, पारंपरिक खाता बही को 'चोपड़ा' कहते हैं.
गुजरातियों में दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हेतु विशेष ज्योतिष की उपस्थिति में नया चोपड़ा खोला जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन इंद्र के गुस्से से हुई बारिश से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को बचाया था जिसके कारण नववर्ष मनाया जाता है.