जानें क्यों भारत में राइट और विदेशों में लेफ्ट होती है ड्राइविंग सीट?
गाड़ियों में स्टेयरिंग दाईं और बाईं तरफ होने का कारण अलग-अलग देशों में सड़क पर चलने के नियम अलग-अलग होना है. भारत और ब्रिटेन में सड़क के बाईं ओर चला जाता है.
इसलिए यहां वाहनों का स्टेयरिंग दाईं ओर होता है. इसी तरह अमेरिका सहित जिन देशों में सड़क के दाईं ओर चलने का प्रचलन है,
वहां स्टेयरिंग बाईं ओर लगाया जाता है. इसीलिए गाड़ियां भी लेफ्ट हैंड ड्राइव और राइट हैंड ड्राइव, दो तरह की होती हैं.
पुराने जमाने में लोग सुरक्षा के लिए तलवार साथ लेकर चलते थे. ज़्यादातर लोग राइटी होते हैं तो ज़्यादातर तलवारबाज़ दाएं हाथ से तलवार चलाते थे.
और इसीलिए जब वो घोड़ा लेकर सड़क पर निकलते तो सड़क की बाईं ओर चलते. ताकि आगे से आने वाले व्यक्ति को उनकी दाईं तरफ से ही गुज़रना पड़े.
8वीं सदी में फ्रांस और अमेरिका में माल ढुलाई के लिए बड़ी-बड़ी बग्घियां बनीं जिन्हें कई घोड़े जोतकर खींचा जाता था.
इन बग्घियों में गाड़ीवान बैठने को जगह नहीं होती थी. तो एक आदमी किसी एक घोड़े पर बैठकर बाकी को हांकता था.
अब चाबुक चलाने के लिए गाड़ीवान को अपना दायां हाथ फ्री रखना होता था. इसलिए वो बाईं तरफ जुते आखिरी घोड़े पर बैठता था.
अब चूंकि ये आदमी बग्घी की बाईं तरफ बैठा होता था, वो बग्घी सड़क की दाईं तरफ चलाता था ताकि सामने से आने वाली गाड़ियां
उस तरफ से निकलें जहां वो बैठा हुआ है. इससे दो बग्घियों के क्रॉस होते वक्त नज़र रखी जा सके.
भारत में बाईं ओर चलने का रिवाज इंग्लैंड की देन है. भारत पर लंबे समय तक इंग्लैंड का राज रहा. ऐसे में अंग्रेजों ने भारत में भी अपने देश की तरह ही सड़क के बाईं ओर चलने का नियम बनाया.
जब भारत में गाडियां आईं तो उनके स्टेयरिंग भी इंग्लैंड की तरह दाईं ओर लगाए गए.
वहीं, अमेरिका में 18वीं सदी से ही बग्घियों के कारण दाईं ओर चलने का रिवाज था तो गाड़ियों के स्टेयरिंग लेफ्ट साइड में लगने शुरू हो गए.