कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद बेरहमी से हत्या का आरोपी संजय रॉय का आज पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) होना था, जो टल गया है.
इस मामले के बाद पॉलीग्राफ टेस्ट एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों कराया जाना है.
लेकिन इससे पहले ये जान लीजिए पॉलीग्राफ टेस्ट होता है? इस टेस्ट से क्या साबित होगा और कैसे उनके गुनाह का पता चल जाता है. आइए जानते हैं.
पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है. इस टेस्ट द्वारा व्यक्ति के जवाब देते वक्त उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापा जाता है.
इस टेस्ट से सच या झूठ बोलेन का पता लगाया जाता है. यह टेस्ट आरोपी और अदालत की मंजूरी के बाद किया जा सकता है.
पॉलीग्राफी टेस्ट से ये पता चल जाता है कि सामने वाला शख्स सच कह रहा है या फिर वह झूठ बोल रहा है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस टेस्ट के दौरान जब झूठ बोला जाता है तो उसके दिल की धड़कन, सांस लेने में बदलाव, पसीना आना आदि, शारीरिक क्रियाओं में बदलाव होने लगता है.
टेस्ट के दौरान ब्लड प्रेशर, नाड़ी, खून के प्रवाह आदि को मापा जाता है. हालांकि, एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा पूरी तरह से सही नहीं होता है.
पॉलीग्राफ टेस्ट के रिजल्ट को एक ग्राफ पर दिखाया जाता है, यह दिखाता है कि शख्स की शारीरिक प्रतिक्रियाएं सवालों के जवाब देने के दौरान किस तरह से बदली हैं,.
अगर रिजल्ट में कोई अहम बदलाव दिखाई देता है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है.