चलिए आपको बताते हैं अंतरिक्ष में क्यों नहीं रह सकते इंसान?
किसी भी इंसान के लिए लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना मुमकिन नहीं है इंसान का शरीर इसके काबिल नहीं है. स्पेस का शरीर पर काफी बुरा असर पड़ता है
वहीं आप धरती पर जिस तरह से रहते हैं, वैसा नहीं रह सकते. आप अंतरिक्ष में वो काम कैसे करते हैं जो धरती पर आसान हैं, जैसे व्यायाम करना, सोना, नहाना या शौचालय का इस्तेमाल करना ?
बता दें कि स्पेस में शरीर की क्षमता का कम इस्तेमाल होने के कारण, हार्ट बिलकुल सामान्य काम करता है
अंतरिक्ष में रहने के दौरान हार्ट में ब्लड वाॅल्यूम भी कम हो जाता है, जिससे दिल भी सामान्य से छोटा हो जाता है
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण आंखों में कई तरह के बदलाव आते हैं. इनमें SANS यानी स्पेस एसोसिएटेड न्यूरो ऑक्यूलर सिंड्रोम सबसे प्रमुख है, जिसमें आंख के पिछले हिस्से पर सूजन आ जाती है
अंतरिक्ष में इंसानों के पास, हड्डियों और मांसपेशियों को लेकर 2 ही विकल्प होते हैं- इसका इस्तेमाल करें या खो दें
मांसपेशियों का इस्तेमाल कम होने से वे भी कमजोर होने लगती हैं. इस वजह से पृथ्वी पर लौटने के बाद चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है
स्पेस में पृथ्वी जैसी ग्रैविटी नहीं होती और शरीर के निचले हिस्से को बाकी शरीर या दूसरी चीजों का भार भी नहीं उठाना पड़ता
भार न होने से शरीर का निचला हिस्सा कम काम करने लगता है. हड्डियां कई पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना कम कर देती हैं. इस वजह से हड्डियों की डेन्सिटी कम हो जाती है और वे कमजोर होने लगती हैं
वहीं, शरीर के दूसरे अंगों में ये मिनरल्स बढ़ जाते हैं, जिससे यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने, किडनी में पथरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं
धरती पर हमारे ब्रेन का आंख, कान जैसे दूसरे अंगों और इंद्रियों से तालमेल बना रहता है
वहीं, अंतरिक्ष में यात्रियों को दिशा भ्रम, मोशन सिकनेस होने लगता है, दिमाग के लिए छोटे-छोटे काम करना भी मुश्किल होने लगता है