14 साल के वनवास के दौरान इस पहाड़ी पर रुके थे भगवान राम, यहां पर है ये जगह
नागपूर से 60 किलोमीटर दूर रामटेक नगरी की पहाड़ी की विशेष मान्यता है.
लोगों का मानना है कि प्रभू श्रीरामजी अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ इस पहाडी पर लगभग चार महीने तक ठहरे थे.
रामटेक शहर की पहाड़ी पर जमीन से हजार फीट ऊंचे पहाड़ों पर प्रभू श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण का मंदिर है.
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा राम जी के दर्शन से पहले उनके भाई लक्ष्मण जी का मंदिर है. लक्ष्मण जी के मंदिर मे दर्शन के बाद प्रभू श्रीराम और सीता के दर्शन होते है.
यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा मंदिर के प्रवेशद्वार पर वानरों की सेना भक्तों का स्वागत करती है. भक्त भी वानरों को प्रसाद खिलाते है.
मंदिर में प्रवेश करने के बाद सब से पहले भगवान लक्ष्मण का मंदिर दिखाई देता है. जिसके ठीक पीछे प्रभू श्रीराम और सीता मां का मंदिर है. मंदिर मे अगत्स्य ऋषि का आश्रम भी है.
इसी पहाड़ी पर प्रभू श्रीराम को अगत्स्य ऋषि मिले थे. ऐसी मान्यता है कि वनवास के समय रामजी यहां आये थे. उस समय इस भूमि को तपोगिरी पर्वत कहते थे.
इस पहाड़ी पर ऋषि-मुनि तपस्या करते थे. उस समय मायावी राक्षस ऋषि-मुनि की तपस्या भंग करते थे. भगवान राम के यहां आने पर मुनियों ने उन्हें राक्षसों के अत्याचार के बारे में बताया.
उसी समय प्रभू श्रीराम ने राक्षसों का वध करने का प्रण लिया था. इस मंदिर को संकल्प सिद्धि का स्थान भी माना गया है.
रामटेक स्थित प्रभू श्रीराम जी का यह मंदिर करीब 1500 साल पुराना है. करीब 300 साल पहले नागपूर के राजा रघुजी राजे भोसले ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था.