PAKISTAN में स्थापित की गई महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति, जानिए विशेषताएं, अंग्रेज क्यों कांपते थे उनसे?

महाराजा रणजीत सिंह के बारे में आप कितना जानते हैं? हाल ही में उनकी एक प्रतिमा पाकिस्‍तान में स्थापित की गई है.

पाकिस्‍तान का पंजाब प्रांत, कभी महाराजा रणजीत सिंह का ही इलाका होता था, आज उन महाराजा के बारे में हम यहां आपको कुछ बातें बताएंगे

महाराजा रणजीत सिंह का जन्म पंजाब के गुजरांवाला में 13 नवंबर 1780 में हुआ था, उन्हें शेरे पंजाब भी कहा जाता था.

उन्होंने पहला युद्ध 10 साल की उम्र में लड़ा, 12 साल की उम्र में गद्दी संभाली और 18 साल की उम्र में लाहौर जीत लिया था.

उन्होंने सिर्फ लाहौर ही नहीं, बल्कि कश्मीर और मुल्तान पर 1819 तक को भी अपने साम्राज्‍य का हिस्सा बना लिया. 

महाराजा रणजीत सिंह सिखों के पहले राजा माने जाते हैं, हाल ही में पाकिस्तान के करतारपुर गुरुद्वारे में उनकी मूर्ति फिर से स्थापित की गई है.

40 साल तक शासन उन्होंने पंजाब में 40 सालों तक शासन किया और इस दौरान अंग्रेज़ों को अपने इलाके से न केवल दूर रखा, बल्कि उन्‍हें फटकने भी नहीं दिया.

एक समय ऐसा था जब अग्रेज़ों का पूरा भारत पर कब्जा था, लेकिन सिर्फ महाराजा रणजीत की ही वजह से अंग्रेज पंजाब में घुसने से डरते थे.

महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल के दौरान ही गुरु नानक जी के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी भी की.

बेशकीमती कोहिनूर हीरा महाराजा रणजीत सिंह के पास ही था, हालांकि 1845 में अंग्रेज़ों ने सिखों पर आक्रमण किया तो हीरा को चुरा ले गए.