26 जनवरी को बजने वाला महात्मा गांधी का वो पसंदीदा गीत, इस वजह से हटाया गया
आज यानी 26 जनवरी 2025 को भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस साल भी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के लिए अलग-अलग राज्यों की झांकियां चल रही है.
गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति महात्मा गांधी का एक ऐसा पसंदीदा गाना था जो अब नहीं बजाया जाता है.
चलिए आज हम आपको उस गाने को नहीं बजाने की पीछे की वजह बताएंगे.
बता दें कि महात्मा गांधी को रघुपति राघव राजाराम सबसे ज्यादा पसंद था. इसके बाद एक और गीत है जो उन्हें काफी पसंद था. दूसरी भाषा का यह गीत अबाइड विद मी महात्मा गांधी को पसंद था.
बता दें कि ये गीत ब्रिटेन के मोनार्क जॉर्ज पंचम को भी काफी पसंद था. इस गीत को ईसाइयों का प्रार्थना गीत भी कहा जाता है. ये गीत दुनियाभर में प्रसिद्ध है.
भारत में गणतंत्र दिवस समारोहों का आखिरी हिस्सा बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी है. दरअसल सेना में एक परंपरा रही है कि जब युद्ध चल रहा होता है उस समय शाम होने पर एक खास धुन बजाई जाती है. जिससे सैनिक अपने-अपने हथियार रखकर युद्ध मैदान से हट जाते हैं.
इस पूरी प्रक्रिया को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है. यह परंपरा भारत में अंग्रेजों ने शुरू की थी जो आज भी बनी हुई है. इसमें भारत की तीनों सेनाएं हिस्सा लेती हैं और पारंपरिक धुन बजाते बैंड के साथ मार्च पास्ट करती हैं.
गणतंत्र दिवस समारोह के समापन पर हर 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी दिल्ली में होती है. उस दिन शाम को यह सेरेमनी विजय चौक पर आयोजित करने की परंपरा है.
वैसे तो यह सेरेमनी साम्राज्यवादी विरासत का प्रतीक है, लेकिन अब भी बरकरार है. इसमें अबाइड विद मी गीत की धुन भी पहले बजाई जाती थी.
साल 2020 से इस गीत पर राजनीति तेज हुई थी जिसके बाद विवाद बढ़ने पर 2022 में इस गीत को सेरेमनी से हटा दिया गया था. इसकी जगह बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में दूसरी गीतों को जगह दी गई है जो अब 29 जनवरी को मार्चपोस्ट के दौरान बजाए जाते हैं.