मरा हुआ आदमी जिंदा हो जाए... ये कहना ही किसी अचरज से कम नहीं हैं, हालांकि, कुछ लोग क्रायोनिक्स और अन्य काल्पनिक पुनरुत्थान प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करते हैं.
वैज्ञानिक तौर पर यह ज्ञात हुआ है कि मृत्यु के बाद, व्यक्ति के शरीर की कोशिकाएं और ऊतक धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं और यह प्रक्रिया अपरिवर्तनीय होती है.
अगर कोई व्यक्ति जैविक रूप से मृत है, तो उसे वापस नहीं जिंदा किया जा सकता, क्योंकि मस्तिष्क की मृत्यु हो चुकी होती है.
हालांकि, कुछ लोग क्रायोनिक्स और अन्य काल्पनिक पुनरुत्थान प्रौद्योगिकियों पर भरोसा करते हैं.
लेकिन, वैज्ञानिक ज्ञान के मौजूदा स्तर पर, लंबे समय से मृत शरीरों को फिर से जिंदा करना संभव नहीं माना जाता.
हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि एडवांस मेडिकल तकनीक और क्रायोनिक्स साइंस के जरिए भविष्य में मरे हुए इंसानों को जिंदा करना संभव है
दो साल पहले 1 रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनियाभर में 600 से ज्यादा लोगों की लाशों को फ्रीज करके रखा गया है, इस उम्मीद में कि वो लोग वापस जिंदा होंगे
अमेरिका और रूस जैसे देशों में जिन लोगों की लाशें क्रायोनिक्स कंपनी के फ्रीजर में रखी गई हैं, उन लैब के संचालक डेड बॉडीज को सुरक्षित रखने का दावा करते हैं
जो लाशें फ्रीजर में रखी हुई हैं, कानूनी तौर पर भले ही वे लोग मर चुके हैं, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं
आपको बता दें कि क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन या क्रायोनिक संरक्षण, जीवित कोशिकाओं और ऊतकों को बेहद कम तापमान पर संरक्षित करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है.
क्रायोप्रिजर्वेशन या क्रायोकंसर्वेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जैविक सामग्री - कोशिकाएं , ऊतक या अंग - को लंबे समय तक सामग्री को संरक्षित करने के लिए जमाया जाता है
क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन की प्रक्रिया में, कोशिकाओं को धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है ताकि वे स्थिर स्थिति में आ जाएं और ठंड से होने वाली चोटों से बचा जा सके.
एल्कोर क्रायोनिक्स नाम की कंपनी के मुताबिक, उनके यहां काफी लोगों की डेडबॉडीज सुरक्षित रखी गई हैं, इस विश्वास के साथ कि क्रायोनिक्स तकनीक से वे फिर से जीवित होंगे
यानी, दुनिया में ऐसे लोग हैं, जिनको लगता है कि आने वाले समय में मेडिकल साइंस मौत के बाद इंसानों को जिंदा कर सकेगी