अपने प्यार को पाने के लिए साइकिल चलाकर भारत से यूरोप पहुंच गया ये शख्स
कहानी भारत के एक कलाकर प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की है. 80 के दशक में प्रद्युम्न से इम्प्रेस होकर स्वीडन की एक 19 साल की छात्रा शार्लोट वॉन शेडविन उससे मिलने के लिए भारत पहुंची.
भारत पहुंचने पर शार्लोट वॉन शेडविन ने कलाकार प्रद्युम्न से अपना स्केच बनाने के लिए कहा. शार्लोट का स्केच बनाते-बनाते प्रद्युम्न को उनसे प्यार हो गया. जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली.
शादी के बाद शार्लोट को वापस स्वीडन जाना पड़ा लेकिन प्रद्युम्न उनके साथ नहीं जा सके. प्रद्युम्न को अभी अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी इसलिए वह भारत में ही रह गए.
कुछ समय बाद साल 1977 में प्रद्युम्न कुमार महानंदिया ने अपनी पत्नी शार्लोट वॉन शेडविन से मिलने की योजना बनाई. जब वह यूरोप जाने के लिए फ्लाइट की टिकट खरीदने के लिए पहुंचे तब उनके पास टिकट खरीदने के लिए उतने पैसे नहीं थे.
प्रद्युम्न ने फैसला किया कि वह अपनी पत्नी के पास जाकर ही रहेंगे. इसके लिए प्रद्युम्न अपना सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीदी और साइकिल से ही स्वीडन जाने का फैसला किया.
प्रद्युम्न अगले 4 महीने और 3 हफ्ते तक लगातार साइकिल चलाते रहे. वह हर रोज 70 किलोमिटर साइकिल चलाते थे.
प्रद्युम्न ने पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया. इसके बाद वह इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और फिर ट्रेन से गोथेनबर्ग की यात्रा की.
यात्रा के दौरान प्रद्युम्न को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कई बार उनके पास पैसे नहीं होते थे तब वह लोगों का स्केच बनाकर कुछ पैसे कमा लेते.
कई बार तो ऐसा हुआ कि उनके पास कुछ खाने को नहीं होता था, तब उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था. जब वह यूरोप पहुंचे तब उन्हें वहां के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
उस दौरान उनकी पत्नी शॉर्लोट ने उनका हर कदम पर साथ दिया. दोनों ने स्वीडन में फिर से शादी की और वहीं साथ रहने लगे.