मुश्किल में मुइज्जू, मालदीव के सामने खड़ी हुई नई समस्या
हिंद महासागर में स्थित मालदीव जैसे देश में रहना दो दुनियाओं में से एक में रहने जैसा है. एक दुनिया में वे लोग रहते हैं, जिसमें राजधानी माले आता है, जबकि दूसरी दुनिया में सुदूर द्वीपों पर रहने वाले शामिल हैं.
द्वीप समूहों के इस देश में सुदूर द्वीपों की आबादी लगातार कम हो रही है, क्योंकि तमाम चुनौतियों के कारण उनमें समुद्र तटों पर ट्यूना मछली पकड़ने और नारियल की खेती से जीवन जीने की अपील कम हो रही है.
बेहतर सुविधाओं की तलाश में राजधानी माले की ओर ऐसे लोगों का पलायन लगातार बढ़ रहा है, जबकि यह शहर पहले ही लोगों की अधिक जनसंख्या के कारण दबाव में है.
मालदीव में 550 मील की धुरी पर फैले 1,000 द्वीप हैं और 188 बसे हुए द्वीपों में से अधिकांश में 1,000 से कम निवासी हैं.
मालदीव के लोग अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की खातिर सदूर द्वीपों को छोड़ रहे हैं. किसी भी अन्य जगह की तुलना में, जो लोग खर्च वहन कर सकते हैं, वे माले ही जाते हैं.
हालांकि राजधानी माले की तंग परिस्थितियां पलायन कर रहे तमाम लोगों के सामने पहली चुनौती है. यहां एक बेडरूम वाले अपार्टमेंट का किराया सरकारी कार्यालय कर्मचारी के शुरुआती वेतन से पांच गुना अधिक है.
बहरहाल राजधानी जहां भी संभव हो सकता है, खुद को विस्तार देने में लगी हुई है. सरकार माले में चीन और भारत द्वारा वित्तपोषित आवास परियोजनाएं तैयार करने में लगी हुई है.
जनवरी माह में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने माले के बीच समुद्र के नीचे एक सुरंग और एक भूमि-पुनर्ग्रहण परियोजना की घोषणा की थी, जहां चीनी निवेशक 65,000 आवास इकाइयां बनाने में मदद करेंगे.