मंकी फीवर ने इन राज्यों में ढाया कहर, जानें इसके लक्षण, ऐसे करें बचाव
कोविड, चमकी बुखार और अब देशभर में अब मंकी फीवर का खतरा लगातार बढ़ रहा है.
कर्नाटक में इस बीमारी से दो मरीजों की जान भी जा चुकी है. अकेले इस राज्य में अब तक 64 केस सामने आए हैं.
क्या है मंकी फीवर के लक्षणइस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है. इसके लक्षण की बात करें तो तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है.
मंकी फीवर के लक्षण आम तौर पर बंदरों की टिक्स (किलनी) के काटने के 3 से 8 दिन बाद दिखाई देते हैं.
मामला गंभीर होने पर ये बीमारी एन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस और अलग-अलग अंगों की विफलता जैसी समस्याओं में भी बदल सकता है.
क्या है मंकी फीवरमंकी फीवर को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) के रूप में भी जाना जाता है. यह एक वायरल हेमरेजिक बुखार है, जो क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज वायरस के कारण होता है.
यह बीमारी मुख्य रूप से जंगली इलाकों में बंदर, विशेष रूप से लंगूर और बोनट मकाक को संक्रमित टिक्स के काटने से फैलती है.
इस तरह से करें बचावइस बीमारी के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है. हालांकि, वैक्सीनेशन और टिक से बचाव और सुरक्षात्मक कपड़े पहनने जैसे उपायों की मदद से संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं.
मंकी फीवर से से सुरक्षित रहने के लिए, उन जंगली इलाकों में जाने पर सावधानी बरतें जहां इस बीमारी का खतरा ज्यादा है.
टिक्स से बचने के लिए लंबी बाजू वाले कपड़े, पैंट और बंद जूते पहनें. ओपन स्किन के बचाव के लिए DEET युक्त इंसेक्ट रिपेलेंट का इस्तेमाल करें.
बंदरों और उनके आवासों के सीधे संपर्क में आने से बचें. अगर बुखार, सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें.