तेज गति से ज्यादा बिजली, फिर भी इतनी धीमी गति से क्यों चलते हैं विंडमिल?

क्या आपने सोचा है कि बड़ी-बड़ी पवन चक्कियां या विंडमिल इतनी धीमी गति से क्यों चलती हैं?

अगर इन्हें तेज घुमाया जाए, तो ज्यादा बिजली बनाई जा सकती है. फिर भी, इन्हें धीरे क्यों चलाया जाता है?

पवन चक्की एक ऐसी मशीन है जो हवा की शक्ति को ऊर्जा में बदलती है. इसे आमतौर पर बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

पवन चक्की में लंबे-लंबे ब्लेड (पंख) होते हैं, जो हवा के बहाव से घूमते हैं. ये ब्लेड एक जनरेटर से जुड़े होते हैं, जो मेकेनिकल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है.

पवन चक्कियां बड़े-बड़े मैदानों में लगी होती हैं जो लगभग 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती हैं.

ये चक्कियां बहुत बड़ी होती हैं. इनकी ऊंचाई 400 फीट तक होती है और इनके पंखों का फैलाव 200 फीट तक होता है.

अगर इतनी बड़ी चक्कियां तेज रफ्तार से चलेंगी, तो इनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है.

तेज रफ्तार से चलने पर इतनी बड़ी पवन चक्कियां टूट भी सकती हैं. इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है.

यही वजह है कि इन्हें तूफानी इलाकों में नहीं लगाया जाता. बहुत तेज हवा या तूफान की स्थिति में ये सुरक्षित नहीं रहतीं.

भारत में सबसे ऊंची पवन चक्की की ऊंचाई 600 फीट से भी ज्यादा है. यह अकेले 4,000 घरों को बिजली प्रदान करती है.

धीमी गति से चलने वाली इन पवन चक्कियों का डिजाइन सुरक्षा और स्थिरता को ध्यान में रखकर बनाया जाता है.