कबाब या बिरयानी नहीं बल्कि ये थी मुगल बादशाहों की सबसे मनपसंद डिश, जानें नाम
मुगल सम्राटों की रसोई फारसी और मध्य एशियाई परंपराओं से प्रभावित थी, लेकिन उन्होंने भारतीय पाक प्रथाओं को भी अपने शाही मेनू में शामिल किया.
इनमें से एक खास व्यंजन था खिचड़ी, जो मुगलों के आहार का अहम हिस्सा था.
पुराने रिकॉर्ड से पता चलता है कि मुगलों, विशेष रूप से अकबर और जहांगीर, खिचड़ी के बड़े शौकिन थे.
अकबर को खिचड़ी इतनी पसंद थी कि उनके दरबारी अबुल फजल रोजाना लगभग 1,200 किलोग्राम खिचड़ी तैयार करवाते थे.
यह खिचड़ी सबके साथ बांटी जाती थी, जिससे यह सामुदायिक व्यंजन बन गई और अकबर की उदारता को दर्शाती थी.
वहीं, जहांगीर को भी खिचड़ी पसंद थी, लेकिन वे इसे पिस्ता और किशमिश से सजा कर मसालेदार रूप में खाते थे, जिसे 'लजीजान' नाम दिया गया, जिसका अर्थ है 'स्वादिष्ट'.
खिचड़ी के अलावा मुगल सम्राटों को लपसी, पूरी, लड्डू जैसे भारतीय व्यंजन भी बहुत पसंद थे.
मुगलों ने भारत में बिरयानी और कोरमा जैसे व्यंजन पेश किए थे, उसी तरह खिचड़ी भी शाही रसोई में एक विशेष स्थान रखती थी.
शाही रसोई में काम करने वाले हिंदू रसोइयों, खासकर ब्राह्मणों ने इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.